जनसेवा का पर्याय: पूर्व ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के जन्मदिन पर विशेष रिपोर्ट
संघ से लेकर सत्ता के शिखर तक का सादा और संघर्षशील सफर
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सेवा, सादगी और संघर्ष का नाम बन चुके सुखराम चौधरी आज 15 अप्रैल को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर पांवटा साहिब सहित प्रदेशभर में उनके चाहने वालों ने शुभकामनाएं दीं। लेकिन ये दिन केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि एक ऐसे जनसेवक को याद करने का दिन है जिसने बिना शोर के जनहित की राजनीति को जिया।
एक साधारण परिवार से शुरुआत, संघ की शाखाओं से मिली राष्ट्रसेवा की प्रेरणा
सुखराम चौधरी का जन्म सिरमौर जिले के पुरुवाला काशीपुर गांव में 15 अप्रैल 1964 को हुआ। एक साधारण परिवार में जन्मे सुखराम ने प्राथमिक शिक्षा गांव से ही प्राप्त की और इसके बाद आईटीआई की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद विद्युत विभाग में तकनीकी कर्मचारी के तौर पर काम शुरू किया और धीरे-धीरे पदोन्नति पाकर जेई बने।
इसी दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं से जुड़ाव ने उनमें राष्ट्रभक्ति और सेवा भावना की लौ जगाई। संघ से प्रेरित होकर उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा को समर्पित करने का संकल्प लिया और राजनीति में कदम रखा।
राजनीति में पहली चुनौती और फिर सतत संघर्ष
सुखराम चौधरी का राजनीतिक सफर वर्ष 1998 में शुरू हुआ जब भाजपा ने उन्हें पांवटा साहिब से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। हालांकि उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन यह हार उनके हौसले को तोड़ नहीं पाई। उन्होंने जनता से संपर्क नहीं तोड़ा और निरंतर ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रहे।

उनका धैर्य और मेहनत रंग लाई और वर्ष 2003 में पहली बार पांवटा साहिब से भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद 2007 में दोबारा विधायक बने और सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (CPS) के पद की जिम्मेदारी निभाई।
भाजपा मंडल अध्यक्ष हितेंद्र कुमार ने की शुभकामनाएं
भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने भी उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दिया कहा कि पांवटा लोकप्रिय विधायक ,व लोगो के दिलों में राज करने वाले सुखराम चौधरी जी द्वारा के विकास कार्य किए गए हैं आज भारतीय युवा मोर्चा की टीम ने उनके जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें बातचीत के करीब युवाओं ने अपना रक्तदान किया गया।
2012 की हार, लेकिन जनता से नहीं तोड़ा नाता
वर्ष 2012 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार के बाद भी अपने क्षेत्र की जनता से नाता नहीं तोड़ा। बिना पद के भी वे रात-दिन लोगों की सेवा में लगे रहे। यही वजह थी कि 2017 में उन्होंने जबरदस्त वापसी की और भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री बने।
ऊर्जा मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति, ट्रांसफॉर्मर व्यवस्था और सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर विशेष ध्यान दिया। उनके कार्यों का असर पूरे प्रदेश में देखा गया।
2022 में फिर से विश्वास की जीत
2022 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पांवटा साहिब की जनता ने उन पर भरोसा जताया और भारी मतों से जीत दिलाई। वर्तमान में वे एक सक्रिय और जमीनी विधायक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनके लिए विधायक पद केवल एक कुर्सी नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम है।
जन्मदिन पर रक्तदान शिविर, जनकल्याण का संदेश
उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा पांवटा साहिब में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर करीब 85 युवाओं ने रक्तदान किया। कार्यक्रम में स्वयं सुखराम चौधरी उपस्थित रहे और मीडिया से बातचीत में हिमाचल दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि “मेरे लिए राजनीति जनकल्याण का जरिया है, और मेरी कोशिश है कि हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचे।”
एक ऐसा नेता जो रात में भी पहुंचता है मदद के लिए
पांवटा में सुखराम चौधरी की पहचान एक ऐसे नेता की है जो केवल चुनाव के वक्त नहीं, हर समय जनता के बीच रहता है। कोई बीमार हो, किसी को आर्थिक मदद चाहिए हो या कोई सामाजिक कार्य—सुखराम हमेशा सबसे आगे रहते हैं। वे अपने वेतन का बड़ा हिस्सा गरीबों की मदद में खर्च कर देते हैं।
प्रदेश राजनीति में मिसाल बने सुखराम चौधरी
जब सिरमौर जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, तब सुखराम चौधरी ने भाजपा के लिए यहां जमीन तैयार की। एक समय था जब जिले की पांचों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन चौधरी ने मेहनत, जनसंपर्क और समर्पण से इस राजनीतिक समीकरण को बदल दिया। आज वे भाजपा के उन चंद नेताओं में गिने जाते हैं जिनका कद पार्टी से आगे जाकर जनमानस में बसता है।
निष्कर्ष:
सुखराम चौधरी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर सेवा भाव, सादगी और निष्ठा हो तो एक सामान्य व्यक्ति भी असाधारण मुकाम हासिल कर सकता है। उनका अब तक का सफर न सिर्फ युवा नेताओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है।