भूपुर में मुआवजे को लेकर जारी आंदोलन पहुंचा निर्णायक मोड़ पर, एसडीएम की सक्रियता बनी ग्रामीणों के लिए उम्मीद की किरण
पांवटा साहिब, जिला सिरमौर — भूपुर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर बीते 25 दिनों से जारी ग्रामीण आंदोलन अब निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुका है। जहां एक ओर ग्रामीण अपने अधिकारों को लेकर एकजुट हैं, वहीं दूसरी ओर पांवटा साहिब के उपमंडल अधिकारी नागरिक (एसडीएम) की सक्रिय और संवेदनशील भूमिका इस पूरे मामले में प्रशंसा का विषय बनी हुई है।
*ग्रामीणों को मिला न्यायिक प्रक्रिया से बल, NHAI के खिलाफ कोर्ट की रोक बरकरार*
मुआवजे में कथित अनियमितताओं को लेकर ग्रामीणों ने आर्बिट्रेटर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद तीन गांवों को दी जाने वाली राशि पर कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी। यह रोक ग्रामीणों के पक्ष में बड़ी राहत मानी जा रही है। इस बीच, एसडीएम पांवटा साहिब की भूमिका खासतौर पर उल्लेखनीय रही, जिन्होंने प्रशासनिक जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से निभाया।
*एसडीएम ने निभाई सेतु की भूमिका, ग्रामीणों की आवाज को पहुंचाया कोर्ट तक*
एसडीएम पांवटा साहिब न केवल प्रत्येक सुनवाई में मौजूद रहे, बल्कि उन्होंने ग्रामीणों की बात को मजबूती से रखा और उनकी मांगों को तथ्यात्मक आधार के साथ न्यायिक पटल तक पहुंचाया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि ग्रामीणों की आवाज अनसुनी न रहे और न्यायिक प्रक्रिया में कोई पक्षपात न हो।
*एसडीएम का बयान:*
“प्रशासन की जिम्मेदारी केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने की नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों की रक्षा करने की भी है। हम न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से ग्रामीणों की हर जायज मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
*भ्रम फैलाने वाली प्रक्रिया के खिलाफ सख्त रुख*
ग्रामीणों का कहना है कि NHAI ने शुरू में यह भ्रम फैलाया कि वे उच्च अधिकारियों से मुआवजा स्वीकृति दिलवाएंगे, लेकिन बाद में उन्होंने खुद ही कोर्ट से स्टे लेकर प्रक्रिया को बाधित किया। इस स्थिति में एसडीएम ने न केवल स्थिति की गंभीरता को समझा, बल्कि उच्चाधिकारियों के साथ समन्वय कर मामले को न्यायोचित दिशा में आगे बढ़ाया।
*राजनीतिक और प्रशासनिक एकजुटता*
पांवटा विधायक सुखराम चौधरी भी धरना स्थल पहुंचे और प्रशासन की निष्पक्ष भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने न केवल कानून व्यवस्था को बनाए रखा, बल्कि ग्रामीणों की भावनाओं और अधिकारों को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझा और आगे बढ़ाया।
*अब सबकी निगाहें 28 अप्रैल पर*
28 अप्रैल को आर्बिट्रेटर कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है, जिस पर ग्रामीणों और प्रशासन दोनों की निगाहें टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस सुनवाई में ऐसा फैसला आएगा जो सभी पक्षों को संतुलित न्याय प्रदान करेगा।
*संवेदनशील प्रशासनिक नेतृत्व की मिसाल*
भूपुर का यह मामला केवल आंदोलन की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और जनता के बीच भरोसे, संवाद और सहयोग की मिसाल भी बन गया है। पांवटा साहिब के एसडीएम ने जिस तरह से संवेदनशीलता, निष्पक्षता और सक्रियता का परिचय दिया है, वह पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण है।