लापरवाह माइनिंग विभाग के कर्मचारियों की वजह से यमुना नदी में बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी, मुख्यमंत्री के दावे फेल
हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी में बड़े पैमाने पर अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। सरकार द्वारा खनन रोकने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। माइनिंग विभाग के कर्मचारी खनन माफियाओं के सामने लाचार नजर आ रहे हैं, या फिर उनकी मिलीभगत से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
यमुना नदी में दिनदहाड़े जेसीबी मशीन और टमटम से अवैध खनन किया जा रहा है। इसकी तस्वीरें और वीडियो कई बार सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई करता नजर नहीं आ रहा है। स्थानीय लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं, मगर माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे माइनिंग विभाग के कर्मचारियों के सामने ही अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं।
माइनिंग माफिया के आगे बौना साबित हो रहा प्रशासन
यहां तक कि जब कभी जिला प्रशासन या माइनिंग विभाग अवैध खनन रोकने के लिए कार्रवाई करता है, तो कुछ दिनों के भीतर ही माफिया फिर से सक्रिय हो जाते हैं। बताया जा रहा है कि कई स्थानीय अधिकारियों की जेबें खनन माफिया द्वारा भरी जा रही हैं, जिसके चलते यह गोरखधंधा खुलेआम फल-फूल रहा है। रात के अंधेरे में बड़े-बड़े ट्रकों में अवैध रूप से निकाली गई रेत, बजरी और पत्थर बाहर भेजे जा रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है। और यह बातें हम नहीं बल्कि लोगों द्वारा कहीं जा रही है कि मानपुर देवड़ा और राजबन में बड़े पैमाने पर खनन चल रहा है।
पर्यावरण और स्थानीय लोगों पर गहरा असर
यमुना नदी में इस तरह के अनियंत्रित खनन से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि जलस्तर में गिरावट और नदी के स्वरूप में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। स्थानीय किसानों को इसका सबसे अधिक नुकसान हो रहा है क्योंकि भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे सिंचाई के साधन प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, इससे नदी के किनारे बसे गांवों में भूमि कटाव की समस्या भी उत्पन्न हो गई है।
राजनीतिक संरक्षण भी बना समस्या
सूत्रों के अनुसार, कई प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियां भी इस अवैध कारोबार को संरक्षण दे रही हैं। चुनावी फंडिंग और अन्य आर्थिक लाभों के चलते यह खेल प्रशासनिक स्तर पर भी अनदेखा किया जा रहा है। जो अधिकारी या कर्मचारी ईमानदारी से खनन रोकने की कोशिश करते हैं, उन्हें दबाव में डाल दिया जाता है या उनका तबादला कर दिया जाता है।
कब जागेगी सरकार?
अब सवाल उठता है कि आखिर कब तक यह अवैध खनन इसी तरह जारी रहेगा? क्या सरकार केवल बयानबाजी तक सीमित रहेगी या फिर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी? जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि आखिर कब तक यमुना नदी को लूटने दिया जाएगा और कब इस पर्यावरणीय अपराध पर पूर्ण विराम लगेगा? हिमाचल प्रदेश के लोगों को अब सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि उनकी प्राकृतिक धरोहर को बचाया जा सके।
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