गहरी नींद में रेणुका वन मंडल अधिकारी, गिरी नदी में धड़ल्ले से चल रहा अवैध खनन!
रेणुका वन मंडल क्षेत्र में अवैध खनन का धंधा बेखौफ जारी है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में सोए हुए हैं। सरकार इन अधिकारियों को वेतन इसलिए देती है ताकि वे अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करें, लेकिन हकीकत यह है कि ये अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर मलाई खाने में लगे हुए हैं। गिरी नदी में जेसीबी मशीनों से दिन-रात अवैध खनन हो रहा है, और वन विभाग के अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं। यह बातें हम नहीं कह रहे हैं बल्कि लोगों ने इस तरह के आरोप अधिकारियों पर लगाए हैं। के सत्य है या झूठ, यह तो जांच का विषय है लेकिन अधिकारी के खिलाफ लोग इस तरह के आरोप लगा रहे हैं
मीडिया टीम की पड़ताल में खुलासा
आज जब मीडिया टीम ने गिरी नदी का दौरा किया, तो वहां खुलेआम जेसीबी मशीनें खनन करती दिखीं। जब मौके पर वन अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि यह अवैध कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे लंबे समय से चल रहा है और अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सेना से रिटायर्ड दिनेश चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वन भूमि पर बड़े स्तर पर अवैध खनन हो रहा है, लेकिन वन विभाग और खनन विभाग दोनों ही इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि इन विभागों की मिलीभगत से ही यह अवैध खनन संभव हो पा रहा है।
नेशनल हाईवे 707 पर भी नियमों की धज्जियां
यह पहला मामला नहीं है, जब वन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं। नेशनल हाईवे 707 पर भी अवैध डंपिंग जोरों पर है। स्थानीय पंचायत प्रधान सहित कई लोगों ने इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन अधिकारियों ने इस पर भी आंखें मूंद रखी हैं। इससे साफ होता है कि हाईवे पर भी सब कुछ ‘मैनेज’ किया गया है और इसमें अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
क्या सरकार लेगी कोई ठोस कदम?
सरकार इन अधिकारियों को ऊंचे वेतन और सुविधाएं इसलिए देती है ताकि वे जनता के हित में काम करें, लेकिन अगर अधिकारी मलाई खाने में ही व्यस्त हैं, तो फिर इन पर कार्रवाई कब होगी?
मीडिया टीम जल्द ही मुख्यमंत्री से इस मामले में जवाब मांगेगी कि क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाया जाएगा या फिर यह अवैध खनन और भ्रष्टाचार यूं ही जारी रहेगा? यह देखना अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों पर कितनी गंभीरता दिखाती है और क्या भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।