पांवटा साहिब शिक्षा खंड में राजेश भारद्वाज की धमाकेदार वापसी,
पांवटा साहिब शिक्षा खंड में राजेश भारद्वाज की धमाकेदार वापसी, 61 वोटों से लगातार दूसरी बार चुने गए प्रधान
पांवटा साहिब, सिरमौर —
राजकीय प्राथमिक शिक्षा खंड पांवटा साहिब के प्रधान पद के लिए हुए चुनाव में राजेश भारद्वाज ने एक बार फिर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए निर्णायक जीत दर्ज की है। उन्होंने कुल 143 में से 102 मत हासिल किए, जबकि उनके प्रतिद्वंदी प्रदीप को मात्र 41 वोटों से संतोष करना पड़ा। इस तरह राजेश भारद्वाज ने 61 वोटों के भारी अंतर से दूसरी बार शिक्षा खंड के प्रधान का पद अपने नाम किया।
यह चुनाव पांवटा साहिब के एक प्रतिष्ठित निजी होटल में संपन्न हुआ, जहाँ पूरे ब्लॉक के शिक्षक बड़ी संख्या में पहुंचे। चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी रही, जिसकी देखरेख जिला स्तर के अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा की गई।
*राजेश भारद्वाज का विजयी बयान*
चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद मीडिया से बातचीत करते हुए राजेश भारद्वाज ने कहा, “यह जीत सिर्फ मेरी नहीं, पूरे शिक्षक समाज की है। लगातार दूसरी बार प्रधान बनना मेरे लिए गौरव की बात है। मैं ब्लॉक के हर शिक्षक की आवाज़ बनकर सरकार तक उनकी समस्याएं और मांगें पहुंचाऊंगा। शिक्षक हितों की रक्षा और उनके सम्मान के लिए मैं हरसंभव प्रयास करूंगा।”
*उन्होंने यह भी कहा कि* उनका उद्देश्य संगठन को और अधिक मजबूत बनाना है ताकि ब्लॉक स्तर से लेकर राज्य स्तर तक शिक्षक समुदाय की भूमिका और भागीदारी को प्रभावशाली बनाया जा सके। साथ ही, उन्होंने यह संकेत भी दिया कि आने वाले जिला स्तरीय चुनावों में भी वे सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।
*शिक्षक समाज में खुशी की लहर*
इस परिणाम के बाद पांवटा साहिब के शिक्षकों में भारी उत्साह देखा गया। शिक्षक समुदाय ने इस जीत को एक सकारात्मक संकेत बताते हुए कहा कि राजेश भारद्वाज जैसे ज़मीन से जुड़े और संघर्षशील नेतृत्व की आज ज़रूरत है।
*पर्यवेक्षकों ने दी सराहना*
चुनाव की निगरानी कर रहे जिला अधिकारियों और पर्यवेक्षकों ने इस चुनाव को पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का आदर्श उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पूरे शिक्षक समुदाय ने एकजुट होकर मतदान में भाग लिया, वह सराहनीय है।
भविष्य की दिशा और चुनौतियाँ
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राजेश भारद्वाज अपने दूसरे कार्यकाल में शिक्षक हितों की दिशा में क्या ठोस कदम उठाते हैं। प्राथमिक शिक्षा खंड में संसाधनों की कमी, शिक्षकों की ट्रांसफर नीति, और पदोन्नति जैसे मुद्दे उनके सामने प्रमुख चुनौती होंगे।
*निष्कर्ष* :
राजेश भारद्वाज की यह जीत न सिर्फ उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि शिक्षकों को ऐसा नेतृत्व पसंद है जो उनकी समस्याओं को समझता है और उनके लिए संघर्ष करता है। अब देखना होगा कि यह भरोसा आने वाले कार्यकाल में किस हद तक न्यायसंगत साबित होता है।