कोटगा गांव में 20 दिनों से सूखा संकट!
कोटगा गांव में 20 दिनों से सूखा संकट! नल सूखे, महिलाएं प्यासे बर्तन लेकर सोशल मीडिया पर फूटीं – अफसर मौन
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश):
सिरमौर ज़िले के कोटगा गांव में पानी का संकट विकराल रूप धारण कर चुका है। हालात इतने बदतर हैं कि गांव की महिलाएं बर्तन लिए सड़क पर उतर आई हैं और सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर प्रशासन को जगाने की गुहार लगा रही हैं। गांव के नल सूख चुके हैं, बर्तन तप रहे हैं, और जानवर बूंद-बूंद को तरस रहे हैं।
“बर्तन खाली हैं, घर में प्यासे बच्चे हैं, और अफसर चैन की नींद सो रहे हैं” – यही दर्द है कोटगा गांव की हर महिला की ज़ुबान पर।
ग्रामीणों के अनुसार, पिछले 20 दिनों से गांव में पीने का पानी नहीं आ रहा। महिलाएं और बच्चे कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर ला रहे हैं। बावजूद इसके, जलशक्ति विभाग के जिम्मेदार अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
वही यहां पर तैनात अधिकारी तो फोन उठाने तक का समय नहीं है कई बार बोलने के बावजूद भी अपने काम की ओर ध्यान नहीं देते सवाल यह खड़े होते हैं कि ऐसे अधिकारियों के ऊपर सरकार और अधिकारी क्यों करवाई नहीं करते ऐसे अधिकारियों के ऊपर तुरंत कार्रवाई हो और कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया जाए तो जनता के तकलीफ में समझ आएगी
एक महिला ने वीडियो में कहा, “नल शोपीस बन गए हैं। बर्तन धूप में तप रहे हैं। बच्चों को पानी पिलाने से पहले हमें सोचना पड़ता है। मवेशी भी भूखे-प्यासे बैठे हैं। क्या हम इंसान नहीं हैं?”
राजनीतिक मोर्चा भी गरम:
यह क्षेत्र हिमाचल सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का विधानसभा क्षेत्र है। दिलचस्प बात यह है कि मंत्री का आज ही सिरमौर दौरा तय है। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वे मंत्री के सामने यह मुद्दा उठाएंगे और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक समाधान नहीं होता।
सवाल उठता है:
- जब गर्मियों की शुरुआत में ही हालात ऐसे हैं, तो मई-जून में क्या होगा?
- क्या विभागीय अधिकारी मंत्री के क्षेत्र में ही इतनी लापरवाही दिखा सकते हैं?
- कब जागेगा प्रशासन और कब मिलेगा ग्रामीणों को उनका अधिकार – पानी?
आख़िरी बात:
कोटगा की प्यास सिर्फ पानी की नहीं है – ये प्यास है इंसानियत की, जवाबदेही की और उस व्यवस्था की, जो कागज़ों में तो हर घर नल-जल योजना चला रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत वीडियो में बर्तन बजा रही है।